चांद पर चांदनी का खजाना | बच्चों की कहानी
चांद पर चांदनी का खजाना
चांदनी ने अपनी कल्पना में उड़ान भरी और चांद पर पहुंच गई। वहां उसे एक खूबसूरत बगीचा मिला। बगीचे में चमकते हुए फूल थे और पेड़ों पर सोने के फल लगे हुए थे। बगीचे के बीच में एक बड़ा सा महल था। महल के दरवाजे पर एक चाबी का छेद था। चांदनी को लगा कि इस चाबी से महल का दरवाजा खुल सकता है।
चांदनी ने अपनी जेब में हाथ डाला और एक चाबी निकाली। यह चाबी उसकी दादी ने उसे दी थी। चांदनी ने चाबी को ताले में डाला और महल का दरवाजा खोल दिया। महल के अंदर जाकर चांदनी दंग रह गई। महल में सोने के बर्तन, हीरे-जवाहरात और बहुत सारे खिलौने थे। लेकिन सबसे खास चीज़ थी एक बड़ा सा संदूक।चांदनी ने संदूक खोला तो उसमें से चांदनी की तरह ही एक छोटी सी लड़की निकली। वो लड़की बोली, "नमस्ते, मैं चांद की राजकुमारी हूँ। मैं बहुत अकेली थी। तुम मेरी दोस्त बनोगी?"
चांदनी बहुत खुश हुई। उसने राजकुमारी को गले लगा लिया। दोनों दोस्त बन गईं और उन्होंने साथ में बहुत मज़ा किया। उन्होंने महल में घूमे, खजाने खेले और चांद की खूबसूरती का आनंद लिया।
अचानक, चांदनी को लगा कि उसे जल्दी घर लौटना चाहिए। उसने राजकुमारी को अलविदा कहा और अपनी उड़ान वापस शुरू कर दी। जब चांदनी अपनी खिड़की पर पहुंची तो उसने देखा कि सूरज निकलने वाला है। चांदनी ने अपनी आंखें मूंद लीं और सो गई।
अगली रात, चांदनी ने फिर से चांद को देखा। और उसे लगा कि चांद उस पर मुस्कुरा रहा है।
कहानी का संदेश: कल्पना करना और सपने देखना बहुत अच्छा होता है। कभी-कभी सपने सच भी हो जाते हैं।
तुम्हारे लिए एक सवाल: अगर तुम चांद पर जाओ तो क्या करोगे?
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