गुरु पूर्णिमा पर भाषण
आदरणीय गुरुजनों, माता-पिता, और मेरे प्रिय साथियों,
आज गुरु पूर्णिमा का यह पावन अवसर हम सभी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह दिन हमें उन गुरुओं को याद करने का अवसर देता है, जिनके बिना हमारा जीवन अधूरा है। गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर माना गया है, क्योंकि गुरु ही हैं जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं।
हमारे शास्त्रों में कहा गया है—"गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः, गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः।" यह श्लोक गुरु की महिमा को पूर्ण रूप से व्यक्त करता है। गुरु हमें ज्ञान देते हैं, संस्कार देते हैं, और जीवन जीने की सही दिशा दिखाते हैं। वे केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं होते, बल्कि वे हमें मनुष्यता, धैर्य, और करुणा जैसे मूल्यों से भी परिचित कराते हैं।
आज के इस युग में, जहाँ तकनीक ने हमारे सीखने के तरीकों को बदल दिया है, वहाँ भी गुरु का महत्व कम नहीं हुआ है। चाहे वह हमारे माता-पिता हों, शिक्षक हों, या कोई ऐसा व्यक्ति जिसने हमें जीवन का महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाया हो—सभी गुरु के समान ही हैं। गुरु पूर्णिमा का यह दिन हमें उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देता है।
हमारी संस्कृति में गुरु-शिष्य परंपरा का विशेष स्थान रहा है। महान ऋषियों से लेकर आधुनिक शिक्षकों तक, गुरुओं ने समाज को सही मार्गदर्शन दिया है। आज हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हम अपने गुरुओं के बताए मार्ग पर चलें, उनके ज्ञान को आगे बढ़ाएँ, और समाज के लिए एक उत्तम उदाहरण प्रस्तुत करें।
इस पवित्र दिन पर, आइए हम सभी अपने गुरुओं के चरणों में नमन करें और उनके प्रति अपनी श्रद्धा एवं सम्मान व्यक्त करें। गुरु का आशीर्वाद ही हमारे जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है।
धन्यवाद।
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