प्रेम का बंधन बांध लें हम
जब पहली बार नजरें मिलीं,
दिल की धड़कन ने बातें कीं।
तू वो चाँद, मैं तेरा आकाश,
बिन बोले बनी अनघट सौ बात।
हर साँस में तेरा ही है आनंत।
तेरे बिना ये दुनिया अधूरी,
तू ही मेरी ज़िंदगी की ज़रूरी।
कभी हल्की सी छुअन से,
दिल के तार छेड़ देता है तू।
कभी चुपके से आँखों में,
सपनों का सागर बहा देता है तू।
प्रेम है वो, जो बिन माँगे बरसे,
जैसे सावन की रिमझिम तरसे।
वो अनकहा जो दिल में बस्ता,
हर धड़कन में तेरा नाम रस्ता।
कभी दूरियां सताती हैं रातों को,
तेरी यादें जलाती हैं बातों को।
फिर भी तेरा इंतज़ार है प्यारा,
हर पल में तू ही तो है हमारा।
तेरे साथ चलूं, हर राह सुहानी,
तेरे बिना हर खुशी है बेगानी।
प्रेम तेरा वो दीपक है मेरा,
जो जलता रहे हर युग, हर फेरा।
कभी झगड़ा, कभी रूठना-मनाना,
प्रेम में ही तो है ये ठिकाना।
हर रंग में तू, हर ढंग में तू,
मेरे हर गीत का संनाद है तू।
तो आ, मेरे पास, मेरे हमसफर,
दिल की गहराइयों में उतर।
प्रेम का बंधन बांध लें हम,
जीवन भर साथ निभाएं हम।
विश्लेषण और विस्तार:
यह कविता प्रेम की विभिन्न परतों को उजागर करती है। पहला छंद प्रेम की शुरुआत को दर्शाता है, जब दो नजरें मिलती हैं और दिल बिना बोले एक-दूसरे से बातें करता है। दूसरा और तीसरा छंद प्रेम की कोमलता और उसकी सौम्यता को दर्शाते हैं, जहां प्रेमी की मुस्कान और छोटी-छोटी हरकतें भी दिल को छू लेती हैं।
चौथा और पांचवां छंद प्रेम की गहराई और उसकी निरंतरता को दर्शाते हैं, जहां प्रेम बारिश की तरह बिन माँगे बरसता है, और दूरी के बावजूद प्रेमी का इंतज़ार प्रिय लगता है। छठा और सातवां छंद प्रेम के स्थायित्व और उसके साथ आने वाली खुशियों को दर्शाते हैं, जहां प्रेमी एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं।
आठवां छंद प्रेम के मानवीय पहलू को छूता है, जहां झगड़े और मनमुटाव भी प्रेम का हिस्सा हैं, लेकिन वे रिश्ते को और मजबूत करते हैं। अंतिम छंद प्रेम को एक साझा यात्रा के रूप में दर्शाता है, जहां दोनों एक-दूसरे के साथ जीवन भर का बंधन बांधने को तैयार हैं।
शैली और भाव:
कविता में सरल हिंदी का उपयोग किया गया है, जो आम पाठक के दिल को छू सके। छंदों में लयबद्धता है, और प्रेम के विभिन्न भावों—जैसे उत्साह, विरह, समर्पण, और विश्वास—को चित्रित किया गया है। प्रकृति के उपमान (चाँद, आकाश, सावन, बसंत) प्रेम के सौंदर्य को और गहरा करते हैं।