जंगल का खजाना और चार दोस्त | Kids Moral Story

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जंगल का खजाना और चार दोस्त


किसी समय की बात है, एक छोटे से गाँव में चार जिगरी दोस्त रहते थे—मोहन, रिया, किशन और छोटी-सी चंचल बंदरिया मिंकी। यह गाँव हरे-भरे जंगल के किनारे बसा था, जहाँ ऊँचे-ऊँचे पेड़, रंग-बिरंगे फूल और चहचहाते पक्षी हर दिन एक नया रोमांच लाते थे। चारों दोस्त हमेशा मिलकर जंगल में खेलते, नई-नई जगहें खोजते और एक-दूसरे की मदद करते।

एक दिन, जब वे जंगल में अपनी पसंदीदा जगह—बड़ा बरगद का पेड़—के पास बैठकर गप्पें मार रहे थे, मिंकी ने एक पुरानी किताब पेड़ की जड़ों के बीच छिपी हुई पाई। किताब का कवर चमड़े का था, और उस पर सुनहरे अक्षरों में लिखा था: "जंगल का रहस्य"। मोहन ने किताब खोली तो उसमें एक नक्शा था, जो जंगल के सबसे गहरे हिस्से में एक खजाने की ओर इशारा करता था। नक्शे के साथ एक संदेश भी था: "जो साहसी, सच्चा और एकजुट है, वही खोजेगा खजाना, जो जंगल में छिपा है। पर सावधान! रास्ता आसान नहीं, हर कदम पर इम्तिहान है!"

चारों दोस्तों की आँखें चमक उठीं। रिया ने उत्साह से कहा, "खजाना! यह तो हमारा सबसे बड़ा रोमांच होगा!" किशन, जो थोड़ा डरपोक था, बोला, "लेकिन जंगल का वो हिस्सा खतरनाक है। क्या हमें सचमुच जाना चाहिए?" मिंकी ने अपनी पूँछ हिलाते हुए कहा, "अरे, डरने की क्या बात? हम चारों साथ हैं न!" मोहन ने नक्शा ध्यान से देखा और बोला, "हमें एकजुट रहना होगा। यह नक्शा कहता है कि खजाना सिर्फ सच्चे और बहादुर दिलों को मिलेगा।"

जंगल का खजाना और चार दोस्त
अगली सुबह, चारों दोस्त अपने छोटे-छोटे थैलों में पानी, रोटी, और कुछ फल लेकर जंगल की ओर निकल पड़े। नक्शे में पहला निशान एक पुराने झरने की ओर इशारा करता था। रास्ते में उन्हें कई चुनौतियाँ मिलीं। सबसे पहले, एक गहरी खाई को पार करना था, जिसके ऊपर सिर्फ एक पतला रस्सी का पुल था। किशन डर गया, "यह तो टूट जाएगा!" उसने कहा। लेकिन रिया ने उसका हाथ पकड़ा और बोली, "हम सब साथ हैं। एक-एक कदम रखो, डरने की जरूरत नहीं।" मिंकी ने हल्के-फुल्के अंदाज में रस्सी पर उछल-कूद शुरू कर दी, जिससे किशन को हँसी आ गई और उसका डर कम हो गया। चारों ने मिलकर खाई पार की।

झरने के पास पहुँचते ही उन्हें एक और चुनौती मिली। झरने के पीछे एक गुफा थी, जिसके प्रवेश द्वार पर एक बड़ा-सा पत्थर था। पत्थर पर लिखा था: "सच्चाई का जवाब दो, और रास्ता खुलेगा। सवाल: जंगल का सबसे बड़ा क्या है?" चारों दोस्त सोच में पड़ गए। मोहन ने कहा, "शायद सोना-चाँदी?" रिया ने मना किया, "नहीं, खजाना तो कुछ और होगा। जंगल का असली धन तो इसके पेड़, नदियाँ और जानवर हैं।" किशन ने जोड़ा, "और दोस्ती भी! हमारी दोस्ती ही तो हमें यहाँ तक लाई है।" मिंकी ने चहकते हुए कहा, "मुझे लगता है जवाब है—प्रकृति और दोस्ती!" मोहन ने पत्थर के पास जाकर जोर से कहा, "जंगल का सबसे बड़ा धन है प्रकृति और दोस्ती!" अचानक, पत्थर हिलने लगा और गुफा का रास्ता खुल गया। चारों खुशी से उछल पड़े।

गुफा अंदर से अंधेरी थी, लेकिन मिंकी की तेज आँखों ने दीवारों पर चमकते हुए तारे जैसे पत्थर देखे, जो हल्का-हल्का प्रकाश दे रहे थे। नक्शे के अनुसार, उन्हें गुफा के अंत में एक चमकता हुआ तालाब मिलना था, जहाँ खजाना छिपा था। रास्ते में उन्हें कई बार भटकना पड़ा, लेकिन हर बार वे एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते रहे। गुफा के बीच में एक बड़ा-सा मकड़ा था, जिसने रास्ता रोक रखा था। उसने डरावनी इम्तिहान है!"

चारों दोस्तों की आँखें चमक उठीं। रिया ने उत्साह से कहा, "खजाना! यह तो हमारा सबसे बड़ा रोमांच होगा!" किशन, जो थोड़ा डरपोक था, बोला, "लेकिन जंगल का वो हिस्सा खतरनाक है। क्या हमें सचमुच जाना चाहिए?" मिंकी ने अपनी पूँछ हिलाते हुए कहा, "अरे, डरने की क्या बात? हम चारों साथ हैं न!" मोहन ने नक्शा ध्यान से देखा और बोला, "हमें एकजुट रहना होगा। यह नक्शा कहता है कि खजाना सिर्फ सच्चे और बहादुर दिलों को मिलेगा।"

अगली सुबह, चारों दोस्त अपने छोटे-छोटे थैलों में पानी, रोटी, और कुछ फल लेकर जंगल की ओर निकल पड़े। नक्शे में पहला निशान एक पुराने झरने की ओर इशारा करता था। रास्ते में उन्हें कई चुनौतियाँ मिलीं। सबसे पहले, एक गहरी खाई को पार करना था, जिसके ऊपर सिर्फ एक पतला रस्सी का पुल था। किशन डर गया, "यह तो टूट जाएगा!" उसने कहा। लेकिन रिया ने उसका हाथ पकड़ा और बोली, "हम सब साथ हैं। एक-एक कदम रखो, डरने की जरूरत नहीं।" मिंकी ने हल्के-फुल्के अंदाज में रस्सी पर उछल-कूद शुरू कर दी, जिससे किशन को हँसी आ गई और उसका डर कम हो गया। चारों ने मिलकर खाई पार की।

झरने के पास पहुँचते ही उन्हें एक और चुनौती मिली। झरने के पीछे एक गुफा थी, जिसके प्रवेश द्वार पर एक बड़ा-सा पत्थर था। पत्थर पर लिखा था: "सच्चाई का जवाब दो, और रास्ता खुलेगा। सवाल: जंगल का सबसे बड़ा богатство क्या है?" चारों दोस्त सोच में पड़ गए। मोहन ने कहा, "शायद सोना-चाँदी?" रिया ने मना किया, "नहीं, खजाना तो कुछ और होगा। जंगल का असली धन तो इसके पेड़, नदियाँ और जानवर हैं।" किशन ने जोड़ा, "और दोस्ती भी! हमारी दोस्ती ही तो हमें यहाँ तक लाई है।" मिंकी ने चहकते हुए कहा, "मुझे लगता है जवाब है—प्रकृति और दोस्ती!" मोहन ने पत्थर के पास जाकर जोर से कहा, "जंगल का सबसे बड़ा धन है प्रकृति और दोस्ती!" अचानक, पत्थर हिलने लगा और गुफा का रास्ता खुल गया। चारों खुशी से उछल पड़े।

गुफा अंदर से अंधेरी थी, लेकिन मिंकी की तेज आँखों ने दीवारों पर चमकते हुए तारे जैसे पत्थर देखे, जो हल्का-हल्का प्रकाश दे रहे थे। नक्शे के अनुसार, उन्हें गुफा के अंत में एक चमकता हुआ तालाब मिलना था, जहाँ खजाना छिपा था। रास्ते में उन्हें कई बार भटकना पड़ा, लेकिन हर बार वे एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते रहे। गुफा के बीच में एक बड़ा-सा मकड़ा था, जिसने रास्ता रोक रखा था। उसने डरावनी आवाज में कहा, "मुझे भूख लगी है! तुम में से एक को यहाँ रहना होगा, तभी तुम आगे जा सकते हो!" किशन डर से काँपने लगा, लेकिन रिया ने हिम्मत दिखाई। उसने मकड़े से कहा, "हम अपने दोस्त को नहीं छोड़ सकते। अगर तुम्हें भूख लगी है, तो हम तुम्हें अपने फल देंगे।" मिंकी ने अपने थैले से सारे फल निकाले और मकड़े के सामने रख दिए। मकड़ा हैरान हुआ। उसने कहा, "तुमने मुझे खाना दिया, जबकि तुम डर सकते थे। तुम्हारा दिल सच्चा है। जाओ, तुम्हारा रास्ता साफ है।"

आखिरकार, चारों दोस्त चमकते तालाब के पास पहुँचे। तालाब के बीच में एक चमकता हुआ बक्सा था। मोहन ने बक्सा खोला तो उसमें सोना-चाँदी नहीं, बल्कि एक छोटा-सा दर्पण और एक पत्र था। पत्र में लिखा था: "जंगल का असली खजाना तुम्हारी दोस्ती, साहस और सच्चाई है। यह दर्पण तुम्हें हमेशा याद दिलाएगा कि असली धन तुम्हारे दिल में है। इसे अपने गाँव में ले जाओ और सबको बताओ कि एकता और प्रेम ही सबसे बड़ा खजाना है।"

चारों दोस्तों को समझ आ गया कि खजाना कोई चमकती चीज नहीं, बल्कि उनकी दोस्ती और एक-दूसरे के लिए उनका प्यार था। वे हँसते-मुस्कुराते गाँव लौटे और सारी बात अपने दोस्तों और परिवार को बताई। गाँव वालों ने उनकी हिम्मत और दोस्ती की मिसाल दी और वह दर्पण गाँव के चौपाल में रख दिया गया, ताकि सबको याद रहे कि असली खजाना दोस्ती और सच्चाई है।

यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची दोस्ती, हिम्मत और एक-दूसरे की मदद करने का जज्बा किसी भी खजाने से बड़ा होता है। मुश्किल समय में भी अगर हम एकजुट रहें और सही रास्ते पर चलें, तो हर चुनौती को पार कर सकते हैं।

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