भाई भाई के रिश्ते में सब कुछ सहा जाता है
भाई भाई के रिश्ते में सब कुछ सहा जाता है
भाई-भाई के रिश्ते में सब कुछ सहा जाता है,
बिन कहे सुख-दुख में एक साथ रहा जाता है!
अकेले राम को वन जाने की सजा मिली थी,
अर्धांगिनी सीता भी बिन सजा साथ चली थी!
अनुज लक्ष्मण को अहसास हुआ तत्क्षण ही,
अग्रज के दोहरे दुख भाभी की सुरक्षा की भी!
लखन ने तात मात के आदेश की चाह न की,
भाई भाभी के साथ वनवास की राह पकड़ ली!
तुम्हें नहीं राजाज्ञा, नहीं सहमति धर्मपत्नी की!
मगर अनुज अग्रज बीच चला नहीं बहाना कोई,
भाई का जन्म होता भय हरण सहायता हेतु ही!
राम सीता की कुटिया की पहरेदारी लक्ष्मण ने की,
उर्मिला भी पति वियोग में चौदह वर्ष मूर्च्छित रही,
कंचन मृग अभिलाषी सीता रावण द्वारा हर ली गई,
राम लखन की वानरी सेना ने स्वर्ण लंका जीत ली!
लक्ष्मण ने स्वर्ण लंका में राज करने की बात कही,
पर राम ने ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसि’
भाव प्रदर्शित कर मुनासिब समझा निज गृह वापसी,
सुनो भाई जननी व जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़के होती!
राम तो एक ही थे त्रिया हठ में स्वर्ण मृग गए लाने,
पर अनुज के स्वर्ण लंका भोगने की चाह नहीं माने!
अग्रज पिता समान आते अनुज को सत्य राह बताने,
राम थे मर्यादावादी आए मनुज को मर्यादा सिखलाने!
राम जब राजा बने जन चाह में पत्नी वियोग सहे थे,
वही राजा राम जब यम से गोपनीय वार्ता कर रहे थे
लखन दुर्वासा के दबाव से अनाधिकार अंदर चले गए,
राम ने लक्ष्मण को राजाज्ञा भंग हेतु मृत्यु दंड दे दिए!
किन्तु राम ने भातृप्रेम निभाया सरयू में समाधि ली,
भाई के बीच प्रेम की अनोखी रीति राम से चली थी!
चारों भाईयों ने आपसी प्रेम में एक साथ जान दे दी,
भाई के रिश्ते में कभी नारी बाधा बनने नहीं पाई थी!
कैकई भरत की माँ थी भरत के लिए राजगद्दी मांगी
और राम के लिए वनवास किन्तु भरत ने आपत्ति की!
भातृप्रेम के खातिर भरत ने अग्रज की खड़ाऊ पूजा की
भातृप्रेम से हार गई माँ की चाहत,पत्नी की आसक्ति!
मगर आज भाई-भाई के मध्य बहुत होती बहानेबाजी
पत्नी की बात में आके भाई भाई से करते दगाबाजी!
चंद पैसे के लिए आज दो भाईयों के बीच होती लड़ाई
भाई भाई में शत्रुता ऐसी कि करते मारपीट हाथापाई!
- विनय कुमार विनायक
दुमका,झारखंड-814101
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