ये यदुवंशी हिन्दू सिख जाट खत्री कलचुरी योद्धाओं की गौरव गाथाएँ
तुम स्वयं को कृष्णवंशी यादव कहते मगर कंश का समर्थन करते
इस दोहरी नीति से कौरव सरीखे आस्तीन के साँप से कैसे बचोगे?
वे कृष्ण वंशज कैसे हो सकते जो अपने भाई बहनों को गाली देते?
अपने माँ मामा भाई के शत्रु शिशुपाल सा सौ तक गिन नहीं पाते!
अगर सौ तक गिनती कर लेते, तो कृष्ण को जीते जी समझ लेते,
कृष्ण गाली नहीं देते, कृष्ण मवाली को नहीं चाहने वाले जैन मुनि
जिन्होंने कभी सामूहिक हत्या नहीं की,रणभूमि में हथियार ना ढोए,
जहाँ व्यापक हिंसा की संभावना होती रण छोड़कर रणछोड़ कहलाए!
कृष्ण ने कंश श्वसुर जरासंध वध करवाए कुश्ती युक्ति बेहथियार से
कृष्ण वैसे यदुवंशी जो जादू करे प्रेम की बंसी से,मारे ना तलवार से,
कृष्ण मित्र शत्रु के मददगार दुर्योधन को सेना दिए मांग स्वीकार के!
कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में प्रण लिए अस्त्र ना उठाने की ये जैन धर्मनीति,
कृष्ण के गुरु थे उनके गोत्रज अहिंसावादी जैनी तीर्थंकर अरिष्टनेमी,
कृष्ण वेद उपनिषद ज्ञानी, गीता के वाणी, कृष्ण सौम्य निरभिमानी,
कृष्ण वंशवादी नहीं,’सत्यमेव जयते’ खातिर गांधारी शापवश निर्वंशी!
कृष्ण का नाम बदनाम कर कंश शिशुपाल सा बनो नहीं आत्मघाती,
कृष्ण जातिवादी नहीं, परिवारवादी नहीं थे, कृष्ण नहीं थे अवसरवादी,
कृष्ण की गरिमा समझो कृष्ण की बदनामी ना हो वर्णा होगी बर्बादी,
गाली देने के पूर्व सोचो गाली की संस्कृति नहीं राम कृष्ण बुद्ध की!
गालीबाज मवाली के कारण कृष्ण ने बुआपुत्र शिशुपाल की दुर्गति की,
नारी को गाली देनेवाले कर्ण के कृष्ण ने वध कराए वे भी बुआपुत्र ही,
विन्द अनुविन्द कौरव पक्ष से लड़े मारे गए, कृष्ण के बुआपुत्र वो भी,
कृष्ण पीड़ित पाण्डवों के पक्ष खड़े, वे भी बुआपुत्र, कृष्ण थे न्यायवादी!
यदुवंश में सैकड़ों जातियाँ पुकारी जाती अलग-अलग वंश औ’ नाम से
कंश यदुवंश की अंधक भोज कुकुरवंशी,आज कुकरेजा राजपूत कहलाते,
शिशुपाल यदुवंशी चेदी शाखा के दमघोष पुत्र,दमघोषी घोष गोप कहाते,
यदुवंश की हैहयवंशी शाखा में शौरी सुरी कलचुरी राजपूत कलाल होते!
यदुवंश में ही माधव माथुर माहुर, वृष्णि वार्ष्णेय वियाहुत वैश्य जाति,
यदुवंश में यादौन यदुजा जडेजा,जाट जाधव,अहलूवालिया वालिया खत्री,
भट्टी भाटी भाटिया,अहिर आभीर, कलार कलवार शौण्डिक जैसवाल भी,
यदुवंश में ही गौर गुआर,गुजर गुर्जर,गोप ग्वाल ग्वाला सदगोप गवली!
यदुवंशी जाति किसी एक व्यवसाय से जुड़ी नहीं,सुड़ी सुरी सुरा व्यापारी,
माहुर माहौरी महुआ अर्क से,अहलूवालिया अलकोहल, कलाल कलाली से,
वार्ष्णेय वियाहुत विविध व्यवसायी,धनगर बघेल गड़रिया पाले भेंड बकरी,
गोप ग्वाल अहिर आभीर गोपाल,गुर्जर भैंसपाल,जाट राजवंशी गोपाल भी!
गोप जाति के अंदर आती मजरौठ घोषीन,कृष्णौत वज्रनाभवंशी कम ही,
यदुवंश में हैहयवंशी सत्ताधारी क्षत्रिय थे, जो कलचुरी राजपूत वैश्य बने,
यदुराज हैहयवंशी सम्राट सहस्रार्जुन भार्गव परशुराम से इक्कीसबार लड़े,
राजपूत काल में कलचुरी राजपूत बनकर उभरे, कल्यपाल शाखा जिसके!
ये हैहयवंशी ही वास्तव में यदुवंशी क्षत्रिय योद्धा शासक माहिष्मती के,
सहस्रार्जुन पुत्र शूर शूरसेन वृषसेन मधुध्वज जयध्वज परशुराम से बचे,
शूर से शौरी सुरी सुडी सोढ़ी, शूरसेन से सैनी, वृषसेन से वृष्णि वार्ष्णेय,
मधुध्वज से माधव मधु मधुर माथुर माहुर माहौरी जातियों की उत्पत्ति!
जयध्वज से तालजंघ तलबड़े तलवार,तालजंघ पुत्र से वीतिहोत्र,शर्याति,
भोज से भोजवंश, शौण्डिकेय से शौण्डिक जाति,अवंति से अवंति राज्य
आगे चलकर त्रिपुरी और कल्याणी में उभरा हैहयवंशी कलचुरी राजपूत,
फिर त्रिपुरा में अहलूवालिया हैहयवंशी कलचुरी सिख कलाल खत्री जाट!
कृष्ण यदुवंशी हैहय शाखा के क्षत्रिय सहस्रार्जुन पुत्र शूरवंशी शौरी के
वृष्णिवंश में हुए,इसलिए वे यादव भी,हैहय भी, शौरी भी,वार्ष्णेय भी,
कृष्ण नंद गोप के घर पले बढे इसलिए वे गोप भी,सर्व यादवगण के
गणप्रमुख थे,अस्तु वे माधव भी,कलचुरी कल्यपाल के कुल पुरुष भी!
देश में जब आक्रांताओं का दौर था जाट खत्री कलचुरी राजपूत लड़े थे,
गोकुल सिंह जाट,सूरजमल जाट,जस्सा सिंह कलाल ने दाँत खट्टी की,
औरंगजेब ने हिन्दुओं के धर्मान्तरण के लिए जजिया कर लगाया भारी
गोकुल जाट ने किसान विद्रोह किया मुगलों ने बोटी-बोटीकर हत्या की!
भरतपुर के राजा सूरजमल जाट की वीरता से मुगलों में दहशत फैली
मुगलों बीच कहावत ‘तोप चले बंदूक चले जाके रायफल चले इशारे ते,
अबके जान बचाइले अल्लाह या जाट भरतपुर वारे ते’वे जाटों के प्लेटो
सूरजमल के बाद सिख जाट महाराजा रणजीत सिंह से हारे अफगानी!
गुरु गोविन्दसिंह के सिख जत्थेदार कलाल जस्सा सिंह अहलूवालिया ने
अफगानी आक्रांता नादिरशाह अहमदशाह अब्दाली की मिट्टी पलीद की,
लुटेरे नादिरशाह व अहमदशाह के चंगुल से छुड़ाए हजारों हिन्दू ललनाएँ,
मुगलों के लालकिला पर झंडा फहराए,’सुल्तान उल कौम’ जस्सासिंह ने!
पंजाब गुजरांवाला के गुर्जर उप्पल खत्री हरि सिंह नलवा का था जलवा
कि आक्रांता अफगानी पठानों के काल बने पहना दिए सलवार पहनावा,
जाट सिख महाराज रणजीत सिंह के कमांडर हरि सिंह का डर था ऐसा
पठान माँ बच्चे को कहती ‘चुप शा हरि सिंह रागले’ सो जा आ नलवा!
सत्रह सौ उनतालीस ई में मुगल शासक मुहम्मद शाह के कार्यकाल में
ईरानी लुटेरा नादिर शाह ने दिल्ली में कत्लेआम कर तीस हजार संहारे,
और लूट ले गए कोहिनूर हीरा, दरिया ए नूर, ताज माह करोड़ों खजाने,
जिसमें से कोहिनूर हीरा रणजीत सिंह ने उनके वारिस से वापिस लाए!
सिख रणजीत सिंह ने स्वर्णमंदिर व विश्वनाथ मंदिर स्वर्णमंडित किए,
वे जगन्नाथ मंदिर में भी स्वर्णपत्र लगानेवाले थे,धोखे का शिकार हुए,
ये यदुवंशी हिन्दू सिख जाट खत्री कलचुरी योद्धाओं की गौरव गाथाएँ,
आज यदुवंश की जाति उपाधि ले पारिवारिक हित साधने में लगे हुए!
कृष्ण आजीवन लड़े थे स्वजाति व यदुवंशी सगे सम्बन्धी रिश्तेदार से,
माँ पिता को बेड़ी में बांधने, भाईयों को मारनेवाले रक्तवंशी गद्दार से,
कृष्णवंशी कहलानेवाले जातिवादी दुराग्रह छोड़कर बनो सबके यार जैसे,
कृष्ण प्रेम व युद्ध के देवता,पार्थ जैसे भक्त हो पाओ उन्हें प्यार जैसे!
कृष्ण योग क्षेम के ईश्वर,कृष्ण कूटनीति के धुरंधर, कृष्ण प्रेम के अंदर,
कृष्ण अत्याचार दुराचार के विरोधी थे, कृष्ण को नापसंद स्वजाति बर्वर,
कृष्ण के जितने दुश्मन थे, उनमें से कोई नहीं जाति रिश्तेदारी के बाहर,
कृष्ण को जाति वर्ण धर्म पंथ में ना बांधो,कृष्ण जाति विरादरी से ऊपर!
- विनय कुमार विनायक