भूतिया बगीचा | बच्चों के लिए एक डरावनी कहानी
एक छोटा सा गाँव था, जहाँ एक बहुत ही पुराना बगीचा था। लोग कहते थे कि उस बगीचे में रात को भूत रहते हैं। बगीचे के पेड़ इतने ऊँचे थे कि सूरज की रोशनी भी नीचे तक नहीं पहुँच पाती थी। और रात को तो बगीचा और भी डरावना लगता था।
एक दिन, दो दोस्त, राहुल और सीता, बगीचे में घूमने गए। राहुल बहुत हिम्मत वाला था, लेकिन सीता थोड़ी डरपोक थी। उन्होंने सुना था कि बगीचे में एक भूतिया कुत्ता रहता है, जिसकी आँखें चमकती हैं।
राहुल ने सीता को हिम्मत दी और वे दोनों बगीचे में घूमने लगे। जैसे ही वे बगीचे के अंदर गए, हवा चलने लगी और पेड़ों की डालियाँ हिलने लगीं। सीता डर के मारे राहुल के हाथ पकड़ लिए।
तभी उन्हें एक आवाज़ सुनाई दी, "कौन है वहाँ?"
सीता डर के मारे चिल्ला उठी। राहुल ने उसे शांत किया और कहा, "डरो मत, यह शायद कोई जानवर होगा।"
वे धीरे-धीरे आगे बढ़े और उन्हें एक बड़ा सा कुत्ता दिखाई दिया। कुत्ते की आँखें चमक रही थीं, जैसे ही उसने उन्हें देखा वह भौंकने लगा। सीता और राहुल डर के मारे भागने लगे।
वे भागते-भागते बगीचे के गेट तक पहुँच गए और बाहर निकल आए। थोड़ी देर बाद, उन्हें एहसास हुआ कि वे बहुत डर गए थे। लेकिन फिर उन्होंने एक-दूसरे को देखा और हंसने लगे।
अगले दिन, उन्होंने सुना कि बगीचा वाला कुत्ता दरअसल एक बूढ़ा आदमी था जो रात को बगीचे में घूमता था और बच्चों को डराता था।
कहानी से सीख:
- कभी-कभी चीजें वैसी नहीं होती जैसी दिखती हैं।
- डर पर काबू पाना बहुत ज़रूरी है।
- दोस्तों के साथ मिलकर हम किसी भी डर का सामना कर सकते हैं।
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