चालाक बंदर और खरगोश | बच्चों की कहानी
चालाक बंदर और खरगोश
एक घने जंगल में एक चालाक बंदर रहता था। उसका नाम था चंचल। चंचल दिन भर पेड़ों पर कूदता-फांदता रहता था। एक दिन, चंचल को एक खरगोश मिला। खरगोश बहुत ही शर्मीला था।
चंचल ने खरगोश से कहा, "अरे खरगोश, तू इतना डरा क्यों हुआ है? चल, मेरे साथ खेल।"
खरगोश ने थोड़ी देर सोचा और फिर चंचल के साथ खेलने के लिए तैयार हो गया। दोनों ने जंगल में बहुत मस्ती की। वे पेड़ों पर चढ़े, नदी में डुबकी लगाई और फूलों के बीच छिपे।
एक दिन, चंचल को एक बहुत ही बड़ा आम का पेड़ दिखा। पेड़ पर आम लदे हुए थे। चंचल ने खरगोश से कहा, "चल, इन आमों को तोड़कर खाते हैं।"खरगोश ने कहा, "लेकिन हम इतने ऊपर कैसे चढ़ेंगे?"
चंचल ने कहा, "चिंता मत कर, मैं तुझे ऊपर ले जाऊंगा।"
चंचल ने खरगोश को अपनी पीठ पर बिठा लिया और पेड़ पर चढ़ गया। उन्होंने बहुत सारे आम तोड़े और खूब मजे से खाए।
तभी, उन्हें जंगल का सबसे बड़ा शेर दिखाई दिया। शेर बहुत भूखा था और आमों की खुशबू से आकर्षित होकर वहां आ गया था।
चंचल और खरगोश बहुत डर गए। चंचल ने तुरंत एक योजना बनाई। उसने खरगोश से कहा, "तू जल्दी से पेड़ से नीचे उतर जा और घास में छिप जा। मैं शेर को धोखा दूंगा।"
खरगोश ने चंचल की बात मान ली और जल्दी से नीचे उतर गया। चंचल ने शेर से कहा, "अरे शेर, तुम इतने बड़े जानवर हो और इतने छोटे आमों के पीछे भाग रहे हो। शर्म आनी चाहिए।"
शेर चंचल की बात सुनकर गुस्सा हो गया और चंचल पर झपट्टा मारने लगा। चंचल बहुत चालाक था। वह शेर की पूंछ पकड़कर पेड़ पर लटक गया। शेर चंचल को पकड़ नहीं पाया और निराश होकर चला गया।
चंचल और खरगोश दोनों बहुत खुश हुए। उन्हें अपनी जान बचाने में चंचल की चालाकी ने बहुत मदद की थी।
कहानी का संदेश:
- चालाक होने से मुश्किल परिस्थितियों से निकलना आसान हो जाता है।
- दोस्ती से मुश्किल समय आसानी से पार किया जा सकता है।
- हमेशा साहसी बनो और कभी हार मत मानो।
तुम्हारे लिए एक सवाल: क्या तुम भी कभी किसी मुश्किल स्थिति में फंसे हो? तुमने उस स्थिति से कैसे निकला?
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