डर ही ईश्वर है भय ही भगवान है
डर ही ईश्वर है भय ही भगवान है
खौफ ही खुदा है अचरज ही अल्लाह है
अबतक के अन्वेषण में सबसे खतरनाक
ईश्वर अल्लाह खुदा भगवान का अनुसंधान है!
ईश्वर अल्लाह खुदा की खोज हुई प्रकृति से डरकर
ईश्वर के आविष्कार से मानव का जीवन हो गया दूभर
भगवान के भय से मानव ने कार्य किया नरमेध सा बर्वर
खुदा की खौफ के नाम से आदमी बन गया आदमी का कहर
अल्लाह की शान में आदमी चुभाता है नश्तर काफिर कह कर!
भय से ही मानव का हृदय भयभीत हो जाता
खौफ से भूत प्रेत जिन्न पिशाच खौफनाक लगता
डर से पूजन हवन नमन नमाज का आगाज हुआ
डर भय खौफ से मुक्ति पाना मानव के लिए जरुरी!
डर भय खौफ से मानव ने ईश्वर का अवतरण किया
डर ने ही अल्लाह खुदा रब धर्म मजहब को जन्म दिया
डराने वाले को ईश महेश अवतार पैगम्बर मानना पड़ता!
पहले पहल प्राकृतिक गतिविधि
अंधड़ तूफान आकाशीय बिजली से डर जन्मा
डर से घर के बाहर मंदिर मस्जिद गिरजाघर बना!
जब मन में कुछ-कुछ भय संशय होता
तब मंदिर मस्जिद गिरजाघर में मूर्ति मजार पूजा जाता
ईश्वर अल्लाह खुदा रब के आगे सर झुकाया जाता
मानव अजूबा से अकबकाकर मन ही मन मनौती मांगता!
जब मनुष्य को भ्रमवश कुछ फायदा नजर आने लगता
ईश्वर अल्लाह खुदा रब को रिश्वत देने का वायदा करता
तब आदमी पशुबलि देता बकरीद मनाता चंगाई सभा जाता
सच में आदमी ईश्वर से श्रद्धा भक्ति आस्था नहीं रखता
बल्कि डर भय खौफ अचरज से बार-बार सर झुकाने लगता!
आदमी और ईश्वर जबतक अलग-अलग द्वैत होता
तबतक आदमी के मन में ईश्वर का भय लगातार होता
जब आदमी और ईश्वर अद्वैत भाव से एकमेव हो जाता
तब आदमी एको ब्रह्म दूजा नास्ति वेद मंत्र समझ लेता!
तब वेद में भेद नहीं करता बुद्ध में बोध दिखाई देता
राम में रमण होता कृष्ण में शरण जिन में जिनेन्द्र मिलता
तब आदमी अल्लाह को आसमान में नहीं खोजता
तब आदमी में अनहलक भाव जगता खुद ही खुदा हो जाता!
जब आदमी ईश्वर को आदमी के अंदर मनमंदिर में पाता
कबीर-कबीर कहने लगता मगहर ही काशी काबा हो जाता
तब भगवान के विग्रह को भोग चढ़ावा नहीं चढ़ाना पड़ता
तब मानव का मन नानक हो जाता भूखे को लंगर छँकाता
एक ओंकार सत नाम ही वाहेगुरु सतश्री अकाल हो जाता!
- विनय कुमार विनायक