एक अविस्मरणीय दोस्ती
एक दिन, राहुल के पिताजी को शहर में नौकरी मिल गई। उन्हें शहर जाना पड़ा। राहुल को भी अपने पिताजी के साथ शहर जाना था। राहुल बहुत दुखी था क्योंकि उसे शेरू से दूर जाना था। उसने शेरू को गले लगाकर बहुत रोया।
शहर में राहुल को नए दोस्त बनाने में बहुत मुश्किल हुई। वहाँ के बच्चे शेरू जैसे नहीं थे। वे शहर के शोर-शराबे में खोए रहते थे। राहुल को शेरू की बहुत याद आती थी। वह रोज़ रात को सोने से पहले शेरू के बारे में सोचता था।
कुछ साल बीत गए। राहुल बड़ा हो गया था। एक बार गर्मियों की छुट्टियों में वह अपने गाँव आया। वह सीधा शेरू को ढूंढने गया। लेकिन उसे शेरू कहीं नहीं मिला। गाँव वालों ने बताया कि शेरू बीमार हो गया था और उसकी मौत हो गई थी।
राहुल बहुत दुखी हुआ। उसने शेरू की कब्र पर जाकर फूल चढ़ाए और बहुत रोया। उस दिन राहुल को एहसास हुआ कि शेरू कितना खास दोस्त था।
कहानी का संदेश:
यह कहानी हमें सिखाती है कि दोस्ती कितनी कीमती होती है। चाहे वह इंसान हो या जानवर, एक सच्चा दोस्त हमेशा हमारे साथ खड़ा रहता है। दोस्ती हमें खुशियाँ देती है और हमारे दुखों को कम करती है।