हर पल तेरी ही याद सताती है
काली रातें, तारे टिमटिमाते,
मन मेरा तेरी यादों से घिरा सा रहता है।
हर पल तेरी ही याद सताती है,
ऐसा लगता है, मानो तू पास ही बैठा है।
हर पत्ते पर तेरा ही नाम लिखा हुआ लगता है।
तेरी आँखों का नूर, मेरी रातों को जगमगाता है,
पर तू दूर है, ये दर्द सहन नहीं होता।
मैं परिंदा हूँ, पिंजरे में बंद,
तू मेरा आसमान, दूर है बहुत दूर।
पंख फैलाना चाहता हूँ,
तेरी ओर उड़ने को।
मन बेचैन सा, जैसे सागर की लहरें,
तू दूर है, तो कैसे जी लूँ ये क्षण।
हर पल तेरी ही आस लगाए,
कब मिलेगा, ये पल पुनः।
दिल का सागर है खाली,
तेरे बिना, ये जीवन बेकार।
हर कण में तेरी यादें,
दिल में धड़कती, बेताब।