एक रहस्यमयी पुस्तक
एक दिन, जब दादी माँ घर से बाहर गईं, तो राहुल मौका देखकर पुस्तक को छिपाकर अपने कमरे में ले गया। उसने पुस्तक खोली तो उसमें कुछ अजीब चित्र और अक्षर लिखे हुए थे। राहुल उन अक्षरों को नहीं समझ पाया। तभी अचानक से कमरे में हवा चलने लगी और पुस्तक के पन्ने अपने आप पलटने लगे। राहुल डर गया और पुस्तक बंद करके अलमारी में छिपा दी।
रात को राहुल को बहुत अजीब सपने आने लगे। उसे लगा कि वह एक अजीब से जंगल में खड़ा है और चारों ओर अजीब जीव घूम रहे हैं। सपने से जागकर राहुल बहुत डरा हुआ था। उसने सोचा कि यह सब पुस्तक की वजह से हो रहा है।
अगले दिन, राहुल ने हिम्मत करके दादी माँ से उस पुस्तक के बारे में पूछा। दादी माँ ने उसे बताया कि यह पुस्तक उनके परदादा की थी और इसमें एक रहस्य छिपा हुआ है। यह पुस्तक किसी खजाने का नक्शा है।राहुल बहुत उत्सुक हो गया और उसने दादी माँ से कहा कि वह उस खजाने को ढूंढना चाहता है। दादी माँ ने राहुल को सावधान किया और कहा कि यह खजाना ढूंढना बहुत मुश्किल है और इसमें बहुत खतरा भी है।
राहुल ने दादी माँ की बात मान ली और उसने खजाना ढूंढने की ठान ली। उसने पुस्तक में लिखे हुए अक्षरों को समझने की कोशिश की और पुराने नक्शों का अध्ययन किया।
कई दिनों की मेहनत के बाद, राहुल को कुछ सुराग मिले और उसे लगा कि खजाना उसके गाँव के पास ही कहीं छिपा हुआ है। उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर खजाने की तलाश शुरू कर दी।
कई दिनों तक वे खजाने की तलाश करते रहे, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। आखिरकार, थक हारकर वे वापस लौट आए।
राहुल बहुत निराश हुआ था, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने फिर से पुस्तक को खोला और ध्यान से पढ़ने लगा। तभी उसे एक छोटा सा संकेत मिला। उसने उस संकेत को फॉलो किया और उसे एक गुफा मिली।
गुफा के अंदर जाकर राहुल को एक बड़ा सा खजाना मिला। खजाने में सोने के सिक्के, हीरे-जवाहरात और कई कीमती चीजें थीं।
राहुल बहुत खुश हुआ और उसने खजाने को अपने गाँव के लोगों में बाँट दिया। गाँव के लोगों ने राहुल को बहुत धन्यवाद दिया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और अगर हम मेहनत करें तो हम सफल जरूर हो सकते हैं।
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