प्यार का धोखा और दर्द की गहराई
प्यार का धोखा और दर्द की गहराई
ज़िंदगी का नया मोड़ था, जब तुम मिले थे,
दिल में उमंगें थीं, सपने बुन ले थे।
हर पल तुम्हारे साथ, लगता था स्वर्ग सा,
तुम्हारी आँखों में, खोया था मेरा नज़ारा।
कसमें खाई थीं, साथ निभाने की,
प्यार के बंधन में, हमेशा बने रहने की।
मैंने तुझ पर विश्वास किया, बेदाग दिल से,
तुझे अपना सब कुछ समझा, हर पल हर क्षण के लिए।
टूट गए सारे सपने, बिखर गई खुशियाँ जैसे।
दिल का टुकड़ा हुआ, बेवफाई के घाव से,
आँखों में छलक आए, दर्द के आंसू जैसे।
क्यों किया तूने ऐसा, क्यों तोड़ा तूने मेरा विश्वास?
क्यों छीन लिया मुझसे, प्यार का ये खजाना?
शायद तूने नहीं समझा, प्यार क्या होता है,
या फिर शायद तूने, कभी सच्चा प्यार नहीं पाया।
अब रह गया हूँ मैं अकेला, इस दुनिया में तन्हा,
दिल में उठता सवाल, कहाँ खो गया वो प्यार का सफर?
रातें अब लगती हैं लंबी, दिन गुजरते हैं धीमे,
हर पल याद आती है, तुम्हारी वो बेवफाई की कहानी।
मैंने तुम्हें माफ कर दिया, दिल से,
लेकिन ये दर्द, हमेशा मेरे साथ रहेगा।
शायद समय के साथ, ये सब कम हो जाए,
लेकिन ये निशान, हमेशा मेरे दिल पर रहेगा।
अब मैं आगे बढ़ना चाहता हूँ,
नई शुरुआत करना चाहता हूँ,
लेकिन तुम्हारी यादें, मुझे बार-बार रोकती हैं।
मैं जानता हूँ, ज़िंदगी चलती रहती है,
लेकिन तुम्हारे बिना, ये ज़िंदगी अब अधूरी सी लगती है।
विशेषताएं:
- भावनाओं की गहराई: कविता में धोखे के दर्द, अकेलेपन और उदासी जैसी भावनाओं को गहराई से चित्रित किया गया है।
- विवरणात्मक शैली: कविता में घटनाओं और भावनाओं को विस्तार से बताया गया है, जिससे पाठक आसानी से उनसे जुड़ सकते हैं।
- आशा की किरण: कविता के अंत में आशा की एक किरण दिखाई गई है, जिससे पाठक को यह संदेश मिलता है कि धोखे के बाद भी जीवन आगे बढ़ सकता है।
यह कविता उन सभी लोगों के लिए है, जिन्होंने प्यार में धोखा खाया है। यह कविता उन्हें यह बताती है कि वे अकेले नहीं हैं और समय के साथ वे इस दर्द से उबर सकते हैं।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें