चांद पर चूहा | बच्चों के लिए रोचक कहानी
चांद पर चूहा
एक बार की बात है, एक छोटा सा चूहा था जिसका नाम था चांदू। चांदू बहुत जिज्ञासु था और हमेशा नए-नए चीजें जानना चाहता था। एक रात, चांदू ने चांद को आसमान में चमकते हुए देखा और सोचा, "काश मैं चांद पर जाकर देख सकूँ कि वहां क्या है!"
चांदू ने अपनी माँ से पूछा, "माँ, मैं चांद पर कैसे जा सकता हूँ?"
माँ ने मुस्कुराकर कहा, "बेटा, चांद बहुत दूर है, वहाँ जाने के लिए हमें बहुत बड़े रॉकेट की जरूरत होगी।"
लेकिन चांदू हार मानने वाला नहीं था। उसने एक बड़ा सा गुब्बारा लिया और उसमें हवा भरकर उस पर बैठ गया। उसने सोचा, "शायद यह गुब्बारा मुझे चांद तक ले जाए।"चांदू ने गुब्बारे को पकड़कर आसमान में उड़ना शुरू कर दिया। वह ऊपर और ऊपर जाता गया। उसने नीचे बादलों को तैरते हुए देखा, पहाड़ों को छोटे-छोटे पत्थरों की तरह लग रहे थे।
लेकिन थोड़ी देर बाद, गुब्बारे में हवा कम होने लगी और चांदू धीरे-धीरे नीचे आने लगा। उसने सोचा, "काश मेरे पास पंख होते तो मैं आसमान में उड़ सकता था।"
तभी, चांदू ने एक उल्लू को देखा। उल्लू ने चांदू को देखा और पूछा, "तुम कहाँ जा रहे हो, छोटे दोस्त?"
चांदू ने उल्लू को बताया, "मैं चांद पर जाना चाहता हूँ।"
उल्लू ने कहा, "चांद बहुत दूर है, तुम इतने छोटे से गुब्बारे में वहाँ नहीं जा सकते। लेकिन मैं तुम्हें एक बात बताता हूँ, सपने देखने में कोई बुराई नहीं है।"
चांदू ने उल्लू की बात मान ली और नीचे आ गया। उसने सोचा, "शायद मैं अभी चांद पर नहीं जा सकता, लेकिन मैं बड़ा होकर एक वैज्ञानिक बनूंगा और चांद पर जाने का रास्ता ढूंढूंगा।"
कहानी का संदेश: सपने देखने में कोई बुराई नहीं है। हमें हमेशा अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए।
तुम्हारे लिए एक सवाल: अगर तुम चांद पर जाओ तो वहां क्या करना चाहोगे?
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