ख़्वाबों की तस्वीर
वो तस्वीर यादों की पुरानी कुछ इस कदर
हमें बेशुमार रूला गई,
धूल में लिपटी यादों की धुंध आज फिर
उड़ने सी लगी फ़िजाओं में वो तस्वीर यादों
की पुरानी फिर ताजा हो गई,
अल्फ़ाज पुराने कुछ कानों में हमारे फिर
गूंजने लगे, वो सर्द हवा के झोंखे आज फिर
हमें सता रहे, वो तस्वीर यादों की नजर के
सामने हमारे आज फिर उभरने लगी,
कुछ दबे से जख़्म यादों के फिर ताजा
होने को हैं,
फिर आज अश्क़ हमारे आँखों से फिर
छलकने को हैं,
वो टूटे ख़्वाब की तस्वीर की याद आज
फिर उभर गई
- तरुणा शर्मा तरु
मेरठ उत्तर प्रदेश