कान्हा की माखन चोरी | जन्माष्टमी पर बच्चों के लिए कहानियां
कान्हा की माखन चोरी
एक दिन, कान्हा ने देखा कि उसकी माँ यशोदा माखन का एक बड़ा घड़ा बना रही हैं। कान्हा का मन माखन खाने को ललचाया। उसने चुपके से माखन का घड़ा उठा लिया और जंगल की ओर भाग गया।
जंगल में जाकर कान्हा एक पेड़ के नीचे बैठ गया और माखन खाने लगा। तभी, उसे कुछ आवाज सुनाई दी। कान्हा डर गया और पेड़ पर चढ़ गया। नीचे देखकर उसने देखा कि कुछ गायें उसके पास आ रही हैं। कान्हा बहुत डरा हुआ था।तभी, उसने देखा कि गायें उसे नुकसान पहुँचाने की बजाय उसे देखकर मुस्कुरा रही हैं। कान्हा समझ गया कि गायें उसे प्यार करती हैं। उसने गायों को माखन दिया और वे बहुत खुश हुईं।
कान्हा और गोपियों का खेल
एक बार, कान्हा और गोपियाँ यमुना नदी के किनारे खेल रहे थे। वे बहुत खुश थे। वे गाते, नाचते और खेलते थे।
तभी, कान्हा ने देखा कि एक साँप यमुना नदी में डूब रहा है। कान्हा ने तुरंत साँप को बचा लिया। साँप बहुत खुश हुआ और उसने कान्हा को धन्यवाद दिया।
कान्हा और नंदबाबा
एक बार, कान्हा नंदबाबा के साथ बगीचे में घूम रहा था। तभी, उसने देखा कि एक मोर बहुत सुंदर गाना गा रहा है। कान्हा मोर के पास गया और उसने मोर को पकड़ लिया।
नंदबाबा ने कान्हा को मोर को छोड़ने के लिए कहा, लेकिन कान्हा नहीं माना। तभी, मोर ने कान्हा को चोंच मार दी। कान्हा रोने लगा। नंदबाबा ने कान्हा को गोद में लिया और उसे दिलासा दिया।
कान्हा और राधा
कान्हा और राधा बचपन के दोस्त थे। वे हमेशा साथ-साथ खेलते थे। वे एक-दूसरे को बहुत प्यार करते थे।
एक दिन, कान्हा और राधा जंगल में घूम रहे थे। तभी, उन्हें एक घायल पक्षी मिला। कान्हा और राधा ने पक्षी को अपने घर ले गए और उसकी देखभाल की। कुछ दिनों बाद, पक्षी ठीक हो गया और उड़ गया। कान्हा और राधा बहुत खुश हुए।
ये कहानियां बच्चों को भगवान कृष्ण के जीवन के बारे में बताती हैं और उन्हें अच्छे संस्कार सिखाती हैं।
आप बच्चों को इन कहानियों के साथ-साथ रंगोली बनाना, भजन गाना और कृष्ण की मूर्ति की पूजा करना भी सिखा सकते हैं।
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
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