धर्म मजहब चाहे जो हो उसकी कुरीतियों में सुधार हो
धर्म मजहब चाहे जो हो उसकी कुरीतियों में सुधार हो
ना कोई धर्म से कट्टर हिन्दू बने
ना कोई मजहब से कट्टर मुसलमान बने
हिन्दू मुस्लिम ईसाई अपनी बुराई को छोड़ दे
और दूसरे धर्म मत पंथ की अच्छाई ग्रहण कर ले
किसी प्रकार की पूजा पद्धति में उलझ करके
दकियानूसी अंधविश्वासी बने नहीं कोई विचार से!
उसकी कुरीतियों में हमेशा ही सुधार हो
ऐसा कोई ईश्वर भगवान नहीं होता
जिसमें हर जीव के लिए दया व्यवहार समान न हो
ऐसा कोई अल्लाह खुदा नहीं हो सकता
जिसमें हर मनुज के लिए भाव जुदा-जुदा होता!
हर धर्म पंथ मत मजहब के
महापुरुष गुरुवर रहबर का कद्र एक समान हो
हर वर्ण जाति नस्ल के
मानव का एक जैसा बराबर मान सम्मान हो
राम कृष्ण बुद्ध जिन गुरु ईसा नबी
किसी का भूल से भी नहीं अपमान हो कभी!
किसी पूर्वाग्रही दुराग्रही विचार को
किसी पूर्वाग्रह दुर्भाव से समर्थन नहीं करो
किसी श्रुति स्मृति पुस्तकीय किताबी कृति की
अभिव्यक्ति को पहले तर्क से जाँच परख लो
सार को ग्रहण करो असार का परित्याग कर दो,
हर तथ्य तर्क संगत हो मानवता से सरोकार हो!
सारे पूर्ववर्ती विचार
समय स्थान परिस्थिति के सापेक्ष होते
बदलते समय स्थान परिस्थिति में
ऐसे पुराने विचार में बड़े अंधविश्वास और धोखे होते!
पूर्ववर्ती विचार के पूर्वाग्रह और कुरीतियों को
पहचानकर छोड़ दो जो प्रगति मार्ग को रोके होते
मानव हो प्रगति करो किसी जीव का ना कभी क्षति करो
आस्तिक नास्तिक ईमानवाले और काफिर व्यक्ति के प्रति
भेद-भाव नहीं करना ही ईश्वर भक्ति और खुदापरस्ती होती
ईश्वर अल्लाह खुदा रब भगवान तीर्थंकर अवतार परवरदिगार
सिर्फ भाषाई भेद है ईश्वर के सारे नाम रुप से प्यार करो!
- विनय कुमार विनायक
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