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नवंबर, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कब पूरा होगा किशोरियों के लिए आजादी का अर्थ ?

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कब पूरा होगा किशोरियों के लिए आजादी का अर्थ ? क भी कभी हमारे देश में देखकर लगता है कि देश तो आजाद हो गया है, जहां सभी के लिए अपनी पसंद से जीने और रहने की आज़ादी है. लेकिन महिलाओं और किशोरियों खासकर जो ग्रामीण क्षेत्रों में रहती हैं, उनके लिए आजादी का कोई मतलब नहीं है. उनके लिए तो नींद ही स्वतंत्रता को महसूस करने का एकमात्र साधन है क्योंकि इसमें कोई रोक टोक नहीं है. बंद आंखों से एक लड़की अपने वह सारे सपने, आजादी और अपनी खुशी महसूस करती है जिससे वह पाना चाहती है. लेकिन आंख खुलते ही वह एक बार फिर से संस्कृति और परंपरा की बेड़ियों में खुद को बंधा हुआ पाती है. सवाल यह है कि क्या सही अर्थों में यही आजादी है? देश गुलामी से आज़ादी की तरफ बढ़ तो गया लेकिन दूर दराज़ ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं और किशोरियां आज भी पितृसत्ता समाज की बेड़ियों में जकड़ी हुई हैं. उन्हें घर की चारदीवारी तक सीमित रखा जाता है. यहां तक कि उन्हें अपने लिए फैसले लेने की आज़ादी भी नहीं होती है. उन्हें वही फैसला मानना पड़ता है जो घर के पुरुष सदस्य लेते हैं, फिर वह फैसला चाहे उनके हक़ में न हो. उन्हें तो अपनी राय देने तक की आज़ादी नहीं

धर्म मजहब चाहे जो हो उसकी कुरीतियों में सुधार हो

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धर्म मजहब चाहे जो हो उसकी कुरीतियों में सुधार हो ना कोई धर्म से कट्टर हिन्दू बने  ना कोई मजहब से कट्टर मुसलमान बने हिन्दू मुस्लिम ईसाई अपनी बुराई को छोड़ दे  और दूसरे धर्म मत पंथ की अच्छाई ग्रहण कर ले किसी प्रकार की पूजा पद्धति में उलझ करके दकियानूसी अंधविश्वासी बने नहीं कोई विचार से!   धर्म मजहब चाहे जो भी हो  उसकी कुरीतियों में हमेशा ही सुधार हो ऐसा कोई ईश्वर भगवान नहीं होता जिसमें हर जीव के लिए दया व्यवहार समान न हो ऐसा कोई अल्लाह खुदा नहीं हो सकता जिसमें हर मनुज के लिए भाव जुदा-जुदा होता! हर धर्म पंथ मत मजहब के  महापुरुष गुरुवर रहबर का कद्र एक समान हो हर वर्ण जाति नस्ल के  मानव का एक जैसा बराबर मान सम्मान हो  राम कृष्ण बुद्ध जिन गुरु ईसा नबी  किसी का भूल से भी नहीं अपमान हो कभी! किसी पूर्वाग्रही दुराग्रही विचार को  किसी पूर्वाग्रह दुर्भाव से समर्थन नहीं करो  किसी श्रुति स्मृति पुस्तकीय किताबी कृति की  अभिव्यक्ति को पहले तर्क से जाँच परख लो सार को ग्रहण करो असार का परित्याग कर दो, हर तथ्य तर्क संगत हो मानवता से सरोकार हो! सारे पूर्ववर्ती विचार  समय स्थान परिस्थिति के सापेक्ष होते 

पेड़ के नीचे चल रहे हैं गांव के कई सरकारी स्कूल

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पेड़ के नीचे चल रहे हैं गांव के कई सरकारी स्कूल बि हार के सरकारी स्कूल पिछले कई सालों से शिक्षकों एवं बुनियादी संसाधनों की कमी से जूझते रहे हैं. राज्य के 38 जिलों में सैकड़ों नवसृजित स्कूल स्थापित किए गये हैं, जिनके पास अभी तक जमीन उपलब्ध नहीं कराया जा सका है. भवन एवं जमीन के अभाव में ऐसे स्कूल झोपड़ी में चल रहे हैं. सैकड़ों विद्यालयों को उत्क्रमित तो कर दिया गया, लेकिन उसे उसके अनुकूल संसाधन उपलब्ध नहीं कराया गया है. हालांकि, राज्य सरकार ने शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए पिछले तीन-चार सालों से बहाली की प्रक्रिया चला कर लगभग दो लाख शिक्षकों को बहाल करने की कवायद पूरी कर रही है. छात्रों एवं शिक्षकों की उपस्थिति बढ़ाने को लेकर भी शिक्षा विभाग ने सख्ती बरती है, जिसका कमोबेश असर दिख रहा है. पढ़ने-पढ़ाने के सिलसिले ने रफ़्तार पकड़ ली है. लेकिन मूलभूत संसाधनों के अभाव में ग्रामीण विशेषकर सुदूर ग्रामीण इलाके के स्कूल आज भी जूझ रहे हैं. कुकुरमुत्ते की तरह खुल रहे प्राइवेट स्कूलों के बावजूद आज भी सरकारी स्कूल ही गांव के गरीब बच्चों के लिए शिक्षा ग्रहण करने का एकमात्र केंद्र बना हुआ है. बच्चों में शि

रीति रिवाज के नाम पर किशोरियों के अधिकारों का हनन

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रीति रिवाज के नाम पर किशोरियों के अधिकारों का हनन दु निया की प्राचीन सभ्यताओं में एक भारत की सभ्यता भी है. हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की सभ्यता से पता चलता है कि भारतीय उप महाद्वीप हज़ारों साल पहले न केवल आर्थिक और वैज्ञानिक रूप से विकसित था बल्कि सामाजिक और वैचारिक रूप से भी बहुत समृद्ध था. ज़ाहिर है ऐसे विकसित समाज में सभी को बराबरी का अधिकार रहा होगा. जहां पुरुषों की तरह महिलाओं को भी समान अधिकार प्राप्त रहे होंगे. जहां महिलाओं को पैरों की जूती नहीं समझा जाता होगा बल्कि उन्हें भी सम्मान प्राप्त रहा होगा. उन्हें सभ्यता और संस्कृति के नाम पर घर की चारदीवारियों में कैद करके नहीं रखा जाता रहा होगा.  अब लौटते हैं वर्तमान दौर में. यह वह दौर है जो आर्थिक और वैज्ञानिक रूप से उस सभ्यता से कहीं अधिक विकसित है. आज भारत दुनिया की न केवल विकसित अर्थव्यवस्था वाला देश बन रहा है बल्कि इसके वैज्ञानिकों ने पहले ही प्रयास में चांद के उस हिस्से पर क़दम रख कर इतिहास रच दिया है जहां अमेरिका और रूस के वैज्ञानिक भी कई बार प्रयास करके असफल हो चुके थे. आसमान में अगर इसने मंगल और सूरज तक अपने झंडे गाड़ दिए हैं तो धरती प

नाममात्र की सड़क से गुजरती कठिनाइयां

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नाममात्र की सड़क से गुजरती कठिनाइयां ह मारे देश की अर्थव्यवस्था मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों पर निर्भर करती है। आज भी देश की 74 प्रतिशत आबादी यहीं से है। लेकिन इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्र आज भी कई प्रकार की बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। इनमें सड़क की समस्या भी अहम है। कुछ दशक पूर्व देश के ग्रामीण क्षेत्रों के सड़कों की हालत काफी खराब थी। लेकिन वर्ष 2000 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के लांच होने के बाद से इस स्थिति में काफी सुधार आया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के शुरू होने से पूर्व देश के लगभग आठ लाख 25 हजार गांवों और बस्तियों में से करीब तीन लाख 30 हजार गाँव और बस्तियां ऐसी थी जो पूरी तरह से सड़कविहीन थी। यहां सड़कें केवल नाममात्र की थी। इसका सीधा असर ग्रामीण जनजीवन और अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलता था। इन क्षेत्रों में उत्तराखंड भी प्रमुख रहा है. जहां के कई दूर दराज ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं जो आज भी सड़कविहीन हैं। राज्य के गठन के 23 साल बाद भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की हालत खस्ता है। इन्हीं में एक कन्यालीकोट गाँव भी है। बागेश्वर जिला से करीब 25 किमी दूर इस गाँव में

पहाड़ को बचाना है तो अंधाधुंध दोहन पर रोक लगानी होगी

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प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से विनाश की तरफ बढ़ता पहाड़ वि श्व आर्थिक मंच की वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2020 के अनुसार अगले 10 दशकों में शीर्ष जोखिमों में जलवायु परिवर्तन शामिल हो सकते हैं. यह जोखिम मानवजनित, पर्यावरणीय आपदाएं, जैव विविधता हानि व मौसमी घटनाएं हो सकती हैं. दरअसल पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाए रखने के लिए प्रकृति और मानव के बीच तालमेल होना अत्यंत ही आवश्यक है. यह सिक्के के दो पहलू की भांति है. किसी एक में होने वाली कमी दूसरे को प्रभावित करती है. पिछले कई दशकों से मानव गतिविधियां जलवायु परिवर्तन का प्रमुख चालक रही हैं. शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, वनोन्मूलन व रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों का प्रयोग जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारक के रूप में देखे जा सकते हैं और इन कारकों का जनक मानव है. आधुनिकता व बढ़ती जनसंख्या के साथ तेजी से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो रहा है जो भविष्य में किसी विनाश का सूचक हो सकता है. प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से न केवल मानव, बल्कि वन्य जीवों पर भी इसका बुरा प्रभाव देखने को मिल रहा है.  जाने माने फोटोग्राफर और पर्यावरणविद पद्मश्री अनूप साह बताते हैं कि जिस ज्य

शिक्षकों की कमी शिक्षा में बेहतर बदलाव के लिए बाधक

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शिक्षकों की कमी शिक्षा में बेहतर बदलाव के लिए बाधक शि क्षा के जरिए ही प्रत्येक व्यक्ति के जीवन से अज्ञानता, अंधविश्वास एवं रूढ़िवादी सोच दूर होती है. व्यक्ति में वैज्ञानिक सोच और भौतिक-अभौतिक, विज्ञान आदि का सम्यक ज्ञान से जीवन खुशहाल होता है. शिक्षित व्यक्ति ही अच्छाई और बुराई में फर्क समझ सकता है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि शिक्षा का सर्वप्रथम उद्देश्य है व्यक्ति का चरित्र निर्माण, सजग नागरिक बनाना एवं सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करना है. पूरे देश में शिक्षा में सुधार के लिए अलग-अलग राज्यों की सरकारें काम कर रही हैं. बुनियादी संरचना जैसे-भवन निर्माण, स्मार्ट क्लास, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, खेल का मैदान आदि की व्यवस्था दुरुस्त करने में सरकारी मशीनरी लगी रहती है. वहीं छात्रों के सर्वांगीण विकास व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्रयास तो हो रहे हैं लेकिन धरातल पर कम दिख रहा है. बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के पारु प्रखण्ड के अन्तर्गत राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय धरफरी में वर्ग 9वीं में 589, 10वीं में 679, 11वीं में 336 और 12वीं में 323 बच्चे नामांकित हैं. विद्यार्थियों की कुल संख्या

आज हर कोई छोटे से कारण से रूठ जाता

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आज हर कोई छोटे से कारण से रूठ जाता आ ज का समय है छल-छंद का  आज का समय है घृणा द्वेष जलन का  आज का समय है बेगानापन का   आज का समय नहीं है अपनापन का  आज का रिश्ता झटके में टूट जाता  आज हर कोई छोटे से कारण से रूठ जाता एक वाट्सएप मैसेज छूने नहीं छूने पर  डबल टीक निशान ग्रीन होने नहीं होने पर  हमारा आगे का सम्बन्ध निर्भर करता आज का रिश्ता बहुत जल्द मर जाता  आज बहुत कम हो गया है आदमियत  आज बहुत जल्द मर जाता है इंसानियत  छोटी-मोटी बातों से खराब हो जाती नीयत  आज अगर उठाया नहीं किसी का फोन  और बजते हुए छोड़ दिया फूल रिंगटोन  तो संवेदना सहानुभूति हो जाती है मौन  अगर किसी ने किया आपको मोबाइल  और आपने पूछ लिया कि आप हैं कौन  तो भांड में गई दोस्ती यारी रिश्तेदारी  आज आदमी हो गया बड़ा तुनुकमिजाजी  अगर आपने कुछ दिनों तक बात नहीं की  तो शीघ्र बदल जाएंगे आपके सगे संबंधी  आज भाई बहन के बीच हो गई है हदबंदी  आज का हर आदमी हो गया है खुशामदी आज फोन पर फेसबुक वाट्सएप के चैट से  अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लभ अफेयर सेट हो जाता  माता-पिता देश-धर्म अंधे प्यार की भेंट चढ़ जाती बेटा बाप से लड़ जाता बेटी माँ से अड़ जाती

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