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अप्रैल, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

एक पिता के सिवा कोई भाई बहन नहीं होता!

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माँ की कोख में ज्येष्ठ संतान बनके जो आता माँ की कोख में ज्येष्ठ संतान बनके जो आता एक जोड़ी नर नारी को माता पिता वही बनाता मगर वो कितना तन्हा होता कि उसके सामने एक पिता के सिवा कोई भाई बहन नहीं होता! भाई का मतलब क्या होता; जो भय हर लेता  एक भाई का भाग्य दूसरे भाई से संयुक्त होता  भाई-भाई के बीच में भाव विचार का मेल होता  भाई का भाई के साथ रक्त का होता है रिश्ता! लाख मनमुटाव हो जाए भाई-भाई के बीच में  मगर दो भाई जब एक दूसरे के सामने होता  तो मन में एक भावना उठती भाई आ ‘भैया’  भाई का जो साथ छोड़ देता वो अभागा होता! ज्येष्ठ भाई अनुज की अगवानी हेतु पहले आता अपने हिस्से का दूध छोटे भाई को पिलाने देता  चाहे उस नन्ही सी जान में दम हो या नहीं हो  वो छोटे भाई बहन को गोद में लटकाए रखता! ज्येष्ठ पुत्र प्रतिभावान हो तो पिता की पूँछ बढ़ती  पिता की प्रतिष्ठा दूनी बढ़ती मूँछ नहीं गिर पाती  बेटा जब जल्द पिता के कंधे से कंधा मिला चलता  भाई गोतिया उस पिता की पगड़ी ना उछाल पाता! चाहे पिता को बेटियाँ क्यों नहीं हो जाए दो चार  चाहे पिता धन दौलत रिश्तेदार से हो जाए लाचार  ज्येष्ठ पुत्र अल्प वय में पिता का स

केसर उत्पादन की असीम संभावनाएं

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बढ़ने लगी हैं पुंछ में भी केसर उत्पादन की संभावनाएं पि छले 5 वर्षों से हम केसर को ट्रायल बेस पर लगा रहे थे और 1 साल पहले पूर्ण रूप से इसकी खेती शुरू कर चुके हैं. आप यकीन मानिए परिणाम इतना अच्छा आया कि हमारी प्रोग्रेस को देखते हुए "स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी - यूनिवर्सिटी ऑफ जम्मू" की ओर से हमें 10 लाख रुपए की धनराशि दी गई है. हमारे यहां केसर की पैदावार को देखते हुए जम्मू विश्वविद्यालय के इस विभाग की प्रोफेसर ज्योति ने हमारी बहुत मदद की है. उन्होंने विश्वविद्यालय के पीएचडी स्कॉलर ताहिल भट्टी और एसडीओ, हॉर्टिकल्चर, पुंछ के मोहम्मद फरीद के मार्गदर्शन में हमें रिसर्च के लिए 10 लाख दिए और कहा कि आप यह खोज करें की पुंछ में केसर उत्पादन की और कहां-कहां संभावनाएं हो सकती हैं? इस रिसर्च में हमने यह पाया कि पुंछ में केसर का उत्पादन सुरनकोट, अढ़ाई, फतेहपुर, बायला, मंडी और मेंढ़र के क्षेत्र में भरपूर मात्रा में किया सकता है. यहां का वातावरण और मिट्टी लगभग वैसी ही है, जैसी जम्मू कश्मीर के उन क्षेत्रों में है जहां केसर का उत्पादन होता है." यह कहना है जम्मू संभाग के सीमावर्ती जिला पुंछ के म

भारतीय महिला क्रिकेट: एक शानदार यात्रा

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  भारतीय महिला क्रिकेट: एक शानदार यात्रा भा रतीय महिला क्रिकेट ने पिछले कुछ दशकों में उल्लेखनीय प्रगति की है। 1970 के दशक में अपनी शुरुआत से लेकर आज तक, यह खेल देश में लाखों महिलाओं और लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। शुरुआती दिन: 1972 में भारत ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेला। 1976 में महिला क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (WCAI) की स्थापना हुई। 1978 में भारत ने अपना पहला टेस्ट मैच खेला। सफलता की कहानी: 2005 में, भारत ने अपना पहला महिला क्रिकेट विश्व कप जीता। 2011 में, भारत ने महिला क्रिकेट विश्व कप के फाइनल में जगह बनाई। 2017 में, भारत ने आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप के सेमीफाइनल में जगह बनाई। 2023 में, भारत ने एशियाई खेलों में महिला क्रिकेट में स्वर्ण पदक जीता। प्रमुख खिलाड़ी: मिताली राज: भारत की सबसे सफल महिला क्रिकेट खिलाड़ी, जिन्होंने 10,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय रन बनाए हैं। झूलन गोस्वामी: भारत की सबसे सफल महिला तेज गेंदबाज, जिन्होंने 353 अंतरराष्ट्रीय विकेट लिए हैं। स्मृति मंधाना: भारत की सबसे आक्रामक महिला बल्लेबाजों में से एक, जिन्होंने कई शानदार शतक बनाए हैं

आईपीएल में कौन सी टीम कितनी बार जीती है?

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  आईपीएल में कौन सी टीम कितनी बार जीती है? 15 अप्रैल 2024 तक, आईपीएल के इतिहास में केवल 7 टीमें टूर्नामेंट जीतने में सफल रही हैं। यहां सबसे ज्यादा खिताब जीतने वाली टीमों की सूची दी गई है: मुंबई इंडियंस:  5 बार (2013, 2015, 2019, 2020, 2023) चेन्नई सुपर किंग्स:  5 बार (2010, 2011, 2018, 2021, 2023) कोलकाता नाइट राइडर्स:  2 बार (2012, 2014) राजस्थान रॉयल्स:  1 बार (2008) सनराइजर्स हैदराबाद:  1 बार (2016) डेक्कन चार्जर्स:  1 बार (2009) गुजरात टाइटन्स:  1 बार (2022) यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि डेक्कन चार्जर्स ने 2012 में अपना नाम बदलकर सनराइजर्स हैदराबाद कर लिया था। अतिरिक्त जानकारी: आईपीएल 2024 में, गुजरात टाइटन्स ने अपना पहला खिताब जीता, जो टूर्नामेंट में जीतने वाली पहली नई टीम बन गई। मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स आईपीएल में सबसे सफल टीमें हैं, दोनों ने 5-5 बार खिताब जीता है। दिल्ली कैपिटल्स, पंजाब किंग्स, रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और लखनऊ सुपर जायंट्स जैसी टीमें अभी भी आईपीएल खिताब जीतने का इंतजार कर रही हैं।

आईपीएल खेलने के लिए क्या करना पड़ता है?

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आईपीएल खेलने के लिए क्या करना पड़ता है? भा रतीय प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिकेट लीगों में से एक है। युवा क्रिकेटरों के लिए, आईपीएल में खेलना सपने के समान है। यहां एक विस्तृत मार्गदर्शिका दी गई है जो आपको आईपीएल क्रिकेटर बनने के सपने को पूरा करने में मदद करेगी: 1. प्रतिभा का विकास: युवा क्रिकेट में भागीदारी: अपने स्कूल, अंडर-14, अंडर-16 और अंडर-19 स्तर पर क्रिकेट प्रतियोगिताओं में नियमित रूप से भाग लें। लगातार अच्छा प्रदर्शन करके जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की टीमों में चुने जाने का प्रयास करें। कौशल में निपुणता: बल्लेबाजी, गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण में से किसी एक या एक से अधिक क्षेत्रों में महारत हासिल करें। अपनी कमजोरियों पर काम करें और अपनी ताकत को निखारें। मूलभूत बातों पर ध्यान दें: क्रिकेट की बारीकियों को समझें और मजबूत तकनीक विकसित करें। शारीरिक रूप से फिट रहें और नियमित अभ्यास करें। 2. अनुभव और प्रदर्शन: घरेलू क्रिकेट में भागीदारी: रणजी ट्रॉफी, विजय हजारे ट्रॉफी और सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी जैसे घरेलू टूर्नामेंटों में खेलें। इन टूर्नामेंटों में लगातार अच्छा प

विज्ञान के युग में अंधविश्वास की कोई जगह नहीं होनी चाहिए

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विज्ञान के युग में अंधविश्वास की जगह नहीं 0 8 अप्रैल को लगने वाले सूर्य ग्रहण को लेकर खगोलशास्त्रियों में जहां उत्साह है तो वहीं परंपरा और मान्यताओं को प्राथमिकता देने वालों में बेचैनी भी है. हालांकि वैज्ञानिकों ने स्पष्ट कर दिया है कि करीब 50 साल बाद लंबी अवधि के लिए लगने वाला यह सूर्य ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा, इसके बावजूद विज्ञान से अधिक रीति रिवाजों को मानने वाले इसे लेकर आशंकित हैं. जो पूरी तरह से तर्कहीन और अंधविश्वास पर आधारित होता है. शिक्षा और जागरूकता के अभाव में ऐसी तर्कों पर विश्वास करने वालों की एक बड़ी संख्या है. अधिकतर ऐसी मान्यताओं का पालन करने वाले देश के दूरदराज के गांवों में मिल जायेंगे. जहां न केवल चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के मुद्दे पर बल्कि महिलाओं और किशोरियों के माहवारी के मुद्दे पर भी कई प्रकार के अंधविश्वास देखने को मिलते हैं. इतना ही नहीं, इन क्षेत्रों में लोग बीमार पड़ने पर अपने परिजनों को डॉक्टर से इलाज कराने की जगह झाड़ फूंक करने वालों के पास ले जाते हैं लेकिन जब उस मरीज की हालत गंभीर हो जाती है तो फिर उसे अस्पताल ले जाते हैं. देश का दूर दराज ऐसा ही एक गा

समाज में जागरूकता फैलाने की जरूरत है

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किशोरियों की शिक्षा में डिजिटल दुनिया का सहयोग का जल (बदला हुआ नाम) एक 15 वर्षीय लड़की है जो अपने परिवार के साथ दिल्ली स्थित उत्तम नगर इलाके में रहती है. उसके परिवार में कुल छः सदस्य हैं. काजल अपनी चार बहनों, मां और मौसी के साथ किराए के घर में रहती है. कोरोना महामारी के दौरान उसके पिता की एक दुर्घटना में मौत हो गई थी. इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारण काजल और उसके परिवार को अनेक आर्थिक और सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ा. इसी बीच, ऑनलाइन शिक्षा के कारण काजल की पढ़ाई में भी बाधा आने लगी. घर में एंड्रॉयड फोन नहीं होने के कारण वह ऑनलाइन क्लास से वंचित रहने लगी. लेकिन एक दिन उसकी मुलाकात स्थानीय स्वयंसेवी संस्था प्रोत्साहन इंडिया फाउंडेशन की शिक्षिका रेहाना से हुई. जिन्होंने काजल की पारिवारिक स्थिति को देखते हुए संस्था की ओर से उसे एक डिजिटल उपकरण के रूप में टैब उपहार में दिया. इस उपकरण ने काजल के जीवन में क्रांति ला दी. उसने फिर से अपनी पढ़ाई को शुरू किया. आज वह दसवीं कक्षा में पढ़ रही है, इस डिजिटल उपकरण के कारण न केवल काजल बल्कि उसकी मौसी ने भी ओपन स्कूलिंग के माध्यम से अपनी बारहवीं कक्

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