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सरहदी गांव को एक पहचान भी दिला दी है

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कृषि एवं पशुपालन में विशेष पहचान रखने वाला सरहदी गांव मंगनाड ह र एक व्यक्ति या स्थान अपनी विशेष पहचान रखता है. चाहे वह पहचान छोटी हो या बड़ी. ऐसा कोई स्थान नहीं है जिसकी अपनी कोई न कोई विशेषता ना हो. कुछ स्थान अपनी सुंदरता के लिए विशेष पहचान रखते हैं, कुछ खानपान के लिए, वहीं कुछ अपने पहनावे के लिए जाने जाते हैं, तो कुछ कलाकृतियों के लिए. परंतु अगर हम बात करें सरहद पर बसे मंगनाड गांव की, तो यह कृषि और पशुपालन के लिए धीरे धीरे अपनी पहचान बनाता जा रहा है. केंद्र प्रशासित राज्य जम्मू कश्मीर के जिला पुंछ से करीब 6 किमी की दूरी पर बसा यह गांव, कृषि एवं पशुपालन के क्षेत्र में तेज़ी से अपनी पहचान बनाता जा रहा है. दरअसल, बीते कई वर्षों की अगर बात की जाए तो यह गांव, पशुपालन के मामले में एक विशेष स्थान बनाए हुए है. ऐसा कोई घर नहीं है, जहां आपको माल मवेशी  नहीं मिलेंगे. हालांकि ऐसा नहीं है कि यहां के लोग पूरी तरह पशुपालन पर ही निर्भर रहते हैं. कई लोग सरकारी कर्मचारी होते हुए भी पशुपालन और कृषि में बेहद दिलचस्पी रखते हैं. यही कारण है कि आज यह गांव न केवल अपने आसपास बल्कि पूरे पुंछ में दूध और सब्...

हिंदी प्रिय है

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हिंदी प्रिय है हिं दी प्रिय है क्योंकि यह एक समृद्ध, विविध और भावपूर्ण भाषा है जो भारत की संस्कृति और परंपराओं को दर्शाती है। हिंदी भारत की सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है, और यह भारत के कई हिस्सों में एक आधिकारिक भाषा है। हिंदी में एक लंबा और समृद्ध साहित्यिक इतिहास है, जिसमें कविता, उपन्यास, नाटक और कहानियां शामिल हैं। हिंदी संगीत और नृत्य भी बहुत लोकप्रिय हैं। हिंदी प्रिय होने के कुछ कारण यहां दिए गए हैं: यह भारत की सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है। भारत की जनसंख्या का लगभग 44% हिंदी बोलता है। यह भारत के कई हिस्सों में एक आधिकारिक भाषा है, और इसे स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाया जाता है। यह एक समृद्ध और विविध भाषा है। हिंदी में कई बोलियाँ और उपभाषाएँ हैं, जो भारत के विभिन्न क्षेत्रों की संस्कृति और परंपराओं को दर्शाती हैं। यह एक भावपूर्ण और संवेदनशील भाषा है। हिंदी में कई तरह के शब्द और वाक्यांश हैं जो भावनाओं और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए उपयोग किए जा सकते हैं। यह एक सुंदर और संगीतमय भाषा है। हिंदी में कई तरह के छंद और ताल हैं जो कविता और संगीत को आकर्षक ...

स्वच्छ भारत की सफलता

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स्वच्छता में पीछे छूटते गांव वा र्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण में वर्ष 2022 में भी लगातार छठी बार इंदौर को देश का सबसे साफ़ शहर के रूप में चुना गया है. जबकि एक लाख से कम की आबादी वाले शहर में महाराष्ट्र के पंचगनी को सबसे साफ़ शहर के रूप में चुना गया है. पिछले सात सालों से लगातार केंद्र सरकार की ओर से यह सर्वेक्षण कराया जा रहा है. इस अभियान को अगर क्रांतिकारी अभियान कहा जाए तो गलत नहीं होगा. यह एक ऐसा अभियान है जिसने न केवल शहर से लेकर गांव तक में साफ़ सफाई को बढ़ावा दिया है, बल्कि इसके प्रति लोगों की सोच को भी बदला है. अब पहले की तुलना में शहर और गांव ज़्यादा साफ़ रहने लगे हैं. इसकी वजह से शहरों में जहां कूड़ा करकट का उचित निपटान होने लगा है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र भी इसकी वजह से खुले में शौच से मुक्त होने लगे हैं. जिससे गांव पहले की तुलना में अधिक साफ़ और लोग स्वस्थ रहने लगे हैं. हालांकि अभी भी देश के कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जो इस अभियान में पीछे छूटते जा रहे हैं. राजस्थान के बीकानेर स्थित लूणकरणसर ब्लॉक के कई गांव इसका उदाहरण हैं. जहां आज भी कूड़ा करकट का उचित निपटारन नहीं होने से गंदगी जहां तहां...
 आप सभी का स्वागत है .

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