सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

मार्च, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बर्तन बिकते रहेंगे और परिवार का चूल्हा जलता रहेगा

जब बर्तन बिकेंगे, तब खाने का इंतजाम होगा लोहार समुदाय के संघर्ष और अस्तित्व की कहानी अ रावली की पहाड़ियों के बीच बसा अजमेर, राजस्थान की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों में अपनी एक खास जगह रखता है. यह शहर केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि धार्मिक रूप से भी श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण रखता है. यहां ब्रह्मा जी का इकलौता मंदिर पुष्कर में स्थित है, वहीं ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर को आध्यात्मिकता का केन्द्र बनाती है. हर साल यहां लगने वाले पुष्कर मेले और उर्स के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, जिससे स्थानीय व्यवसायियों को अच्छी कमाई का अवसर मिलता है. इन्हीं व्यवसायियों में लोहार समुदाय के वे परिवार भी शामिल हैं, जो लोहे और एल्युमिनियम के बर्तनों को बेचकर अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं. इन्हीं में एक 70 वर्षीय कमला गड़िया है जो अपनी बेटी आशा के साथ दरगाह जाने वाली सड़क के किनारे बर्तनों की छोटी-सी दुकान लगाती है. उनके लिए यह केवल एक व्यवसाय नहीं है, बल्कि पीढ़ियों से चला आ रहा पारंपरिक काम भी है. जिसे वह अपनी अगली पीढ़ी तक पहुंचाना चाहती हैं. कमला बताती हैं कि, ...